Sunday, November 28, 2010

भारतीय कहलाने में शर्म क्यों


दोस्तों, कितने दुर्भाग्य की बात है कि आज हम अपने देश में ही बंटे हुए हैं. कहीं जाति, धर्म और भाषा के नाम पर तो कहीं क्षेत्रवाद के नाम पर. आखिर क्यों? हम खुद की पहचान को बिहारी, बंगाली, मराठी, गुजराती, पंजाबी, तमिल, राजस्थानी, कश्मीरी और अपने राज्य व भाषा के आधार पर साबित करने में गर्व महसूस करते हैं. बात जाति, धर्म और भाषा से शुरू होकर क्षेत्रवाद तक आ जाती है. फिर बन जाते हैं उत्तर भारतीय, दक्षिण भारतीय और अन्य. आखिर क्यों? तब कहाँ चले जाते हैं जाति, धर्म और भाषा. क्या हम पहले एक अच्छा इन्सान और भारतीय नहीं बन सकते? क्या सिर्फ भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाले क्रिकेट और हॉकी मैचों के दौरान ही हमारा देश प्रेम उमड़ता है? जब अमेरिका वाले अमेरिकन, जापान वाले जापानी और नेपाल जैसे छोटे से देश के लोग नेपाली कहलाने में गर्व महसूस करते हैं तो हमें अपने भारतीय होने पर गर्व क्यों नहीं? क्यों और कब तक यूँ ही बंटे रहेंगे जाति, धर्म और भाषा और क्षेत्रवाद के नाम पर. विचार कीजिये. आपकी क्या राय है....

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