Monday, November 22, 2010
भंसाली की "गुजारिश"
प्यार पर वैसे तो अनेक फिल्म बनती रहती हैं, लेकिन संजय लीला भंसाली की "गुजारिश" लीक से हट कर मानवीय संवेदनाओं को समुचित रूप से रुपहले पर्दे पर साकार करने की दिशा में एक सार्थक प्रयास है. ऋतिक रोशन और एश्वर्या के साथ सभी कलाकारों ने अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है. मसाला फिल्मों के इस दौर में इस तरह की फिल्म बनाना वाकई में एक चुनौती है जिसे भंसाली ने बखूबी निभाया. इसमें कोई संदेह नहीं कि पीड़ा को सबसे अधिक वो ही महसूस कर सकता है जिसे पीड़ा है, दूसरा सिर्फ सहानुभूति दर्शा सकता है, लेकिन फिल्म के पात्र की पीड़ा को उससे जुड़े अन्य पात्रों ने भी बखूबी समझा यही फिल्म का सबसे सशक्त पहलू है जिसका चित्रण बड़े ही भावनात्मक तरीके से किया गया है. मसाला मूवी देखने वालों को ये देख कर निराशा हो सकती कि फिल्म में कोमेडी या एक्शन नहीं है, लेकिन भावनात्मक रूप से मानवीय संवेदनाओं को महसूस करने वालों के लिए यह बेहतरीन फिल्म है. ऋतिक के अभिनय कि सराहना करनी होगी. उन्होंने पात्र को जीवन्त कर दिया और एश्वर्या ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी. कुल मिलकर भंसाली की ये "गुजारिश" दर्शकों के मन को छू लेने वाली है.
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